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अलंकार : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

सौन्दर्य-प्रेम मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। जिस प्रकार आभूषण पहनने से व्यक्ति के शारीरिक सौंदर्य और आकर्षण में वृद्धि होती है, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों के प्रयोग से उसके सौंदर्य में बढ़ोतरी होती है।                  आचार्य दंडी ने अलंकार की परिभाषा इस प्रकार दी है :-                            " अलंकरोति इति अलंकार: " अर्थात्  जो अलंकृत करता है उसे अलंकार कहते हैं। परिभाषा --  " काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वों को अलंकार कहते हैं। " अलंकार दो प्रकार के होते हैं - 1. शब्दालंकार 2. अर्थालंकार यहां हम शब्दालंकार की बात करेंगे जिसके मुख्यतः तीन भेद होते हैं जो निम्नवत हैं -   1.अनुप्रास अलंकार (Alliteration)   2. यमक अलंकार (Antanaclasis)   3. श्लेष अलंकार (Synonym Ornamentation)                           1.  अनुप्रास अलंकार परिभाषा :-   जब किसी काव्य में एक ही वर्ण की आवृत्ति कई बार हो तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। सूक्तिबध्द परिभाषा :-      जब एक वर्ण की होत है, आवृत्ति अनेकों बार ।     अनुप्रास ताको कहत ,  जे सुबुद्धि आगार ।। उदाहरण